स्वागत है! आप दुनिया के एकमात्र पंथ के बारे में जानने वाले हैं, जो आपको गारंटी देता है पूर्ण आंतरिक शांति और स्थायी मुक्ति की। आज की दुनिया में हर व्यक्ति अपने शरीर की जरूरतों पर इतना केंद्रित है, कि वो मनुष्य के रूप में अपने जन्म के वास्तविक कारण को भूल गया है - मोक्ष यानि जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति। इसके कारण वो मानसिक दबाव, तनाव, छल, क्रोध, चिंता, वासना आदि से भरा जीवन जी रहा है।
संत सतगुरु मधु परमहंस साहिब जिनको उनके शिष्य "साहिबजी" के नाम से बुलाते है, अपने शिष्य की आत्मा को अपनी परम आध्यात्मिक शक्तियों का प्रयोग करके सजीवन "नाम" देते हैं जिससे वो चेतन हो जाती है और शिष्य को सत्य भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करती है। तब वो पूर्ण आंतरिक शांति और स्थायी मोक्ष प्राप्त करता है।
1992 में स्थापित, साहिब बंदगी आध्यात्मिक संगठन विशुद्ध रूप से गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका दुनिया भर के किसी भी व्यावसायिक या राजनीतिक संगठन से कोई संबंध नहीं है। आइये "शुद्ध आध्यात्मिकता" के बारे में जानिये और अपने सभी दोषों से छुटकारा पाइये।
सद्गुरु मधु परमहंसजी
परम पूज्य सद्गुरु मधु परमहंसजी ने 24 वर्ष भारतीय सेना में सेवा की है। 1967 में 17 साल की उम्र में, वे भारतीय सेना की महार रेजिमेंट में शामिल हो गए और 1991 तक 24 साल देश की सेवा की। 1991 में उन्होंने भारतीय सेना से जे.सी.ओ (जूनियर कमीशन अधिकारी) के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। 1970 में, 20 वर्ष की आयु में उन्होंने आत्माओं को जगाने की दिशा में अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने ब्रह्मांड की रचना, इसके निर्माण के उद्देश्य, जीवों का निर्माण कैसे हुआ, विभिन्न प्रजातियों का निर्माण कैसे हुआ, काल निरंजन ने उन्हें कैसे बंधा हैं ताकि कोई भी जीव इस सृष्टि से बच के जा न सके और मनुष्य "सार नाम / सजीवन नाम" प्राप्त करके इस सांसारिक भवसागर से कैसे बच सकते हैं इत्यादि का सच्चा ज्ञान सत्संग के माध्यम से देना शुरू किया और उन्होंने भक्तों को असली "नाम" देना शुरू कर दिया।
सतगुरु का एकमात्र उद्देश्य परमपुरुष की आत्माओं को मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य और महत्व के बारे में जागरूक कराके निराकार मन (निराकार मन) और शरीर (माया) के जाल से मुक्त करना है। इसलिए वे कहते हैं: "जो वस्तु मेरे पास है, वह ब्रह्मांड में कहीं नहीं है"।